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Showing posts from March, 2021

रात का दम्भ

ये दम्भ है , रात का काली , भयानक , अंधकार वाली | मैं कर दूँ , निस्तब्ध काल को , मायूसी है तांडव सी , मरणशय्या तैयार है || है क्यूँ तैयार काल , निगलने को चलता है , समय का चक्र निरंकुश | पहर गुजरता नहीं , डराती है आधी रात , हाँ , मैं रात हूँ , मौत वाली || वर्तमान गुजर रहा , भूत चला गया , मैं अभिमान हूँ , भविष्य के आने का | हरेक को तलाश है , मेरे आकर जाने की मेरा स्वरूप , तैनात हूँ ,वक्त को बदलने को || मैं ताक़त हूँ , सत्ता बदलने की , अन्याय की , अविश्वास की | मै रास्ता हूँ , पथरीला , कंटीला , चुभता हूँ मौत सा |

तू वक्त की दीवार है Tu Vakat ki Diwaar hai

तू वक्त की दीवार है तू खुदा का गुलजार है हर पल हम जी रहे, तू ना समझ ये तेरे लिए इजहार है ये शाम की बहार है ये रात में शुमार है तु और मैं ,हम ना हुए तो क्या हुआ मुझे तो महफिलों की जाम से एतबार है हां यह मेरी नफरतों का गुब्बार है मैं टूट ना सकूं इसलिए मदिरा ही मेरा दिलदार है हां मुझे तन्हाइयों का सहार है मुझे नफरतों से प्यार है फिर भी यह वक्त की ही मार है हां मुझे तुमसे ही एतबार है  मुझे तुझ पे ही इजहार है  

तुम एक बार आओ तो सही Tum Ek Baar aao to Shi

  तुम एक बार आओ तो सही , हाँ तुम एक बार आओ तो सही , रूठी ही सही हमसे नज़रें मिलाओ तो सही || हम मिले , मिलकर मिले , पर मुझे मुझसे मिलाओ तो सही , तुम एक बार आओ तो सही || बातें रुखी ही सही , यादें बिखरी ही सही , पर लम्हे हमारी बिछडन के मुझे सुनाओ तो सही || तुम एक बार आओ तो सही || तेरा मुझसे मिलना , मिलकर बिछड़ना , एक ख्वाब ही तो था , ख्वाब मेरा टुटा ही सही , मुझे वो ख्वाब फिर से दिखाओ तो सही|| तुम एक बार आओ तो सही || जा रहा वक्त गुजरता , यादे छूट रही है , ना जाऊ मै भूल मुझे ,मुझे खुद की याद दिलाओ तो सही | तुम एक बार आओ तो सही | मेरे कलम की स्याही सूख रही है , मेरी शायरी रूठने को है, जाऊँ ना मैं , लिखना भूल तुझे , रचना मेरी तुम ही बन जाओ तो सही|| वक्त के झरोखे से शक्ल अपनी दिखाओ से सही , तुम एक बार आओ तो सही | कितनी नफ़रत होगी , मन में तेरे , मुझे मालूम ही नही , मोहब्बत ना सही , नफरतों की खातिर , मुझे मेरी धड़कनो से मिलाओ तो सही || तुम एक बार आओ तो सही | मुझे मुझसे मिलाओ तो सही. जाहिर किया तो था नही , हमने ये राज अपनी सांसों से भी , हुई बदनाम जो गलियाँ ये , हिस्सेदार उसके तुम भी हो , ह

I have a confession

  I have a confession What it means to be alive What it means to be happy Life is transition Purity and Reality are just delusions I must have a confession To redeem points To feel the reality of the world To experience the life What is a confession? Reality of deeds Thought and imagination And few more fantasies Why should I confess To feel and face real criticism To be more courageous To improve my inner self I have a confession Some real issues Some aspirations and endeavors More realistic and practical viewpoint